Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

जीवन है ये छोटा सा

जीवन है ये छोटा सा,
काम कर लो खत्म सभी ।
मृत्यु का कुछ पता नहीं ,
कल हो या फिर हो अभी ।
जीवन है ये छोटा सा,
काम कर लो खत्म सभी ।

मत टालो तुम वर्तमान को,
अपने आने वाले कल में ।
छोटी-छोटी खुशियों को ,
देखो तुम हर एक पल में ।

जीवन का हर एक पल,
जी लो तुम कुछ ऐसे ।
हर एक आने वाला पल,
आखिरी पल हो जैसे ।

फिर न होगा पछतावा,
जब मरने की हो बारी ।
क्योंकि तुमने पूरी कर ली,
अपनी इच्छाएं वो सारी ।

जिंदादिली से भरा हुआ,
जीना होगा तेरा तभी ।
फिर न होगा मृत्यु से डर,
चाहे कल हो या न हो अभी ।

Language: Hindi
95 Views
Books from प्रदीप कुमार गुप्ता
View all

You may also like these posts

बदल गया जमाना🌏🙅🌐
बदल गया जमाना🌏🙅🌐
डॉ० रोहित कौशिक
मानव जीवन - संदेश
मानव जीवन - संदेश
Shyam Sundar Subramanian
मिट्टी का एक घर
मिट्टी का एक घर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#गीत :--
#गीत :--
*प्रणय*
बिटिया  घर  की  ससुराल  चली, मन  में सब संशय पाल रहे।
बिटिया घर की ससुराल चली, मन में सब संशय पाल रहे।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
हाँ !भाई हाँ मैं मुखिया हूँ
SATPAL CHAUHAN
"YOU ARE GOOD" से शुरू हुई मोहब्बत "YOU
nagarsumit326
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
Rj Anand Prajapati
रखिए धीरज
रखिए धीरज
अरशद रसूल बदायूंनी
आसमाँ के परिंदे
आसमाँ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
धर्म की खिचड़ी
धर्म की खिचड़ी
विनोद सिल्ला
माँ
माँ
Nitesh Shah
मन
मन
Sûrëkhâ
जन्मदिन की बधाई
जन्मदिन की बधाई
Savitri Dhayal
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
Guru Mishra
नीला ग्रह है बहुत ही खास
नीला ग्रह है बहुत ही खास
Buddha Prakash
प्रकट भये दीन दयाला
प्रकट भये दीन दयाला
Bodhisatva kastooriya
मां (संस्मरण)
मां (संस्मरण)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
जता दूँ तो अहसान लगता है छुपा लूँ तो गुमान लगता है.
जता दूँ तो अहसान लगता है छुपा लूँ तो गुमान लगता है.
शेखर सिंह
अपनापन
अपनापन
Santosh kumar Miri
*सेवा-व्रतधारी सदा राष्ट्र, सेवा में ही रत रहते थे (राधेश्या
*सेवा-व्रतधारी सदा राष्ट्र, सेवा में ही रत रहते थे (राधेश्या
Ravi Prakash
खुद को साधारण आदमी मानना भी एक ताकत है । ऐसा आदमी असाधारणता
खुद को साधारण आदमी मानना भी एक ताकत है । ऐसा आदमी असाधारणता
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
डॉक्टर रागिनी
FB68 còn nổi bật với hệ thống livestream các sự kiện thể tha
FB68 còn nổi bật với hệ thống livestream các sự kiện thể tha
Fb68
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
3005.*पूर्णिका*
3005.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"फितरत"
Dr. Kishan tandon kranti
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
उमा झा
Loading...