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3 Sep 2019 · 1 min read

जीवन ही चंदन है बाबा (ग़ज़ल)

फ़िल.-335 से हास़िल ग़ज़ल

जीवन ही चंदन है बाबा ।
बचपन ही मधुवन है बाबा ।।

बच्चे यदि आनंदित हैं तो,
सावन ही सावन है बाबा ।।

मात्र प्रेम ही सही गणित है,
शेष सभी ऋण-धन है बाबा ।।

यत्न करो गढ़कर धरती में,
कर्म ही बस पूजन है बाबा ।।

निर्बल को आश्रय देता हो,
अमर वही यौवन है बाबा ।।

जंग लगे न जिसे घृणा की,
लौह वही कंचन है बाबा ।।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

8 Likes · 4 Comments · 292 Views
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