जीवन ही चंदन है बाबा (ग़ज़ल)
फ़िल.-335 से हास़िल ग़ज़ल
जीवन ही चंदन है बाबा ।
बचपन ही मधुवन है बाबा ।।
बच्चे यदि आनंदित हैं तो,
सावन ही सावन है बाबा ।।
मात्र प्रेम ही सही गणित है,
शेष सभी ऋण-धन है बाबा ।।
यत्न करो गढ़कर धरती में,
कर्म ही बस पूजन है बाबा ।।
निर्बल को आश्रय देता हो,
अमर वही यौवन है बाबा ।।
जंग लगे न जिसे घृणा की,
लौह वही कंचन है बाबा ।।
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।