जीवन से संबंधित कुछ तथ्य.
*जो इंसान समयानुसार अपडेट नहीं रहते बिछुड़ जाते है,
*जो समुदाय संघठित नहीं रहते वे टूट जाते है …
*जो संघर्ष नहीं करते लुप्त हो जाते है,
*जिनमें तर्क-शक्ति नहीं होती वे लोग भक्त कहलाते है,
*जहाँ चापलूसी होती है वहीं धोखा होता है .
*जहाँ धार्मिकता स्थान ले लेती है वहाँ पाखंड पैदा होगा,
*जिसे हम बाहर खोजते हैं उसका मूल स्त्रोत अंतस् में है
*राग द्वेष दोष के बीज भी अंदर समाधान भी.
*सांसारिक शिक्षाऐं मतलबी बनाती है,
*सहारा मांगना कमजोरी होने की निशानी है,
*सहारा देना सबलता को दर्शाता है,
*सेवा में भाव है और वही सबलता है,
*प्रेम फैलाता वा रक्षा भी करता है ..
*जिस आश्रय में इंसान स्वयं को सुरक्षित महसूस करे ..
प्रेम की परिभाषा असल परिभाषा है,
*किसी को डरा धमकाकर प्रयोग करना अनीति है,
*प्रभुसत्ता प्रकृति अस्तित्व कभी वैयक्तिक दंड नहीं देता.. बसरते प्रस्तुति समान हो,
*जीव,जीवन की कार्य-सत्ता इंसान नहीं ..प्रकृति तय करती है,
*हम प्रकृति से लड़ नहीं सकते ..समझ सकते ..उसे समझकर फायदा उठा सकते है.
*प्रकृति से विरोध का मतलब विनाश को निमंत्रण देना है,
*विनाश का कारण कोई ईश्वरीय शक्ति नहीं ..कारक स्वयं इंसान बनता है ..और भी स्वयं भोगता है,
*इंसान के पास विवेक सबसे सशक्त पूँजी है,
*तुलसी, वट,पीपल औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ पौधे हैं, इनके संरक्षण वा गुणों का फायदा उठाये.. इन्हें पूजने से कोई फायदा नहीं होगा,
*मनुष्य स्वाभाविक रोग जैसे बुढ़ापा, भूख,प्यास, मृत्यु पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता,
*इंसान नींद को सोकर,भूख को खाकर,काम(कामेच्छा) यानि सेक्स को काम से कभी नहीं जीत सकता ..उसे इंद्रियों के विषय के प्रति जागना ही होगा एवं समझ पैदा करनी होगी ।
*विवेक से बौद्ध जगता है और बौद्ध के सामने दुनियाभर का कोई अंधकार(अज्ञान) नहीं टिकता ?
डं_महेन्द्र