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27 Mar 2024 · 1 min read

जीवन से ओझल हुए,

जीवन से ओझल हुए,
खुशियों के त्योहार ।
टुकड़े – टुकड़े हो गए,
अब सांझे परिवार ।।

सुशील सरना / 27-3-24

1 Like · 165 Views

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