जीवन समर्पित करदो.!
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उमर साठ के बाद व्याकुलता स्वाभाविक है!
फिर भी अपने घर-परिवार में सतर्क रहना है।
बेटा-बहू और पत्नी के संग जीवन बिताना है!
दो बातें ना सुनना पड़े- वाणी संयम रखना है।।
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उमर साठ के बाद जीवन में बदलाव लाना है!
जीवन सुख में जीना है तो, ना भूलो ईश्वर को।
तुम माया-मोह के चक्रव्यूह से बाहर निकलो!
ये स्वार्थी रिश्ते तोड़ो- सखा बनालो ईश्वर को।।
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ईश्वर से सच्चा सखा! न मिलेगा तुमे जगत में!
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्मरण करो ईश्वर को।
दिन शुभ हो, अशुभ वाणी न बोलो किसी को!
जीवन समर्पित करदो- अपने सखा ईश्वर को।।
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सारी उमर बीत न जाएं! माया-मोह के चक्र में!
अब तो तुम लीन हो जाओ- ईश्वर की भक्ति में।
जनम और मृत्यु से मुक्त होकर- मोक्ष पाओगे!
विश्वास करलो- अपने सखा ईश्वर की शक्ति में।।
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=====रचियता:*प्रभुदयाल रानीवाल*=====
========*उज्जैन{मध्यप्रदेश}*========
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