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11 Oct 2020 · 1 min read

जीवन सत्य 

जीवन सत्य

मन भटका सोच भटकी
इरादे भटके नियत भटकी
भटक गया इस संसार में
सही या ग़लत के मझधार में
ढूँढ रहा वह तिनका
जिसका ले सहारा
पा जाएगा किनारा
पर जाना किस पार तुझे
उस पार तुम्हें यूँ लगता
जैसे कोई खींच बुलाता
इंद्रधनुषी सपने दिखलाता
बजती मृदु वीणा सी झंकार
मादक योवन करता पुकार
जीवन लगता लहराता चित्वन
सब कुछ निर्मल सब कुछ पावन
लेकिन क्या ऐसा हो पाया है
उस पार नियति का खेल कैसा
कौन लौट आ बता पाया है
सब मृग तृष्णा है छलावा है
जीवन का सत्य
इस पार का बुलावा है

रेखा

Language: Hindi
1 Like · 314 Views

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