जीवन, सत्य, व्यथा
रिश्तो में यूं एक दूसरे की गलतियां बताया नहीं करते
जो अपने हैं अपनापन जताया नहीं करते
माना की गलतियां की है मैंने,
पर क्या आप सही हो?
चलो मान लिया कि बदल गए हैं हम,
पर क्या आप अब भी वही हो?
गलतियां कौन नहीं करता इस जहां में,
पर कोई हमेशा सही तो नहीं हो सकता
आप तो रो लेते हैं अपने गम दिखाने को
पर मैं? मैं तो रो भी नहीं सकता .
चलो जाने दो जो हुआ सो हुआ अब भुलाते हैं
आज से खुशियों का नया घर बसाते हैं।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि