जीवन संध्या में
जीवन संध्या में
प्रकाश सम
फैला जाने कौन था,
छुआ तुम्हारा मौन था!
अनगिन सुधियों में
हिमकण सा
पिघला जाने कौन था,
छुआ तुम्हारा मौन था
जीवन संध्या में
प्रकाश सम
फैला जाने कौन था,
छुआ तुम्हारा मौन था!
अनगिन सुधियों में
हिमकण सा
पिघला जाने कौन था,
छुआ तुम्हारा मौन था