जीवन संगिनी
क्या-क्या बदला तेरे आने से जीवन में, क्या नापू कैसे नापू
समझ न पाया अब तक मैं इधर से पकडा उधर छुटता
वक्त की इस आपा धापी से चल कुछ समय निकाले हम दोनों
आ बैठ करे कुछ अपनी बातें, उन पलो का चित्र उकेरे
जब साथ चले थे हम दोनों, जीवन की उबड-खाबड राहों पर
साथ न छोड़ा, हाथ न छोड़ा पल पल साहस दिलाया तुमनें
मान मिले, सम्मान मिले एक पल भी न सोचा तुमने
उलाहनो से श्रृंगार किया, तानो पर मुस्कान दिया
आंसू अपने छुपा लिया, हल्की से मुस्कान दिखा मुझकों पूरा हंसा दिया
लगता था क्या ये दिन गुजरेंगे, कुछ खुशी के रंग भी बिखरेंगे
तिनका- तिनका जोड़ के तुमनें घर बनाया मेरा तेरा अपना
कैसा होता रंग रंगीला, उल्लासित जीवन का तेरा सपना
आधे- अधूरे से लगते हैं बस मेरी खोखली बातों से लगते हैं
दो दशकों की इस बेला में तुने क्या पाया समझ न पाया मैं
मेरे को पूरा करके अपनी इच्छाओं को दबाया तूने
न जाने क्या पाया तूने.. न जाने क्या पाया तूनें
मैं तो ये मनाऊ हर पल तू सदा रहे साथ मेरे
तेरा साथ मुझे देता है हर खूशीयां सदा, सब उलझन को करता दूर
क्या-क्या मैं याद दिलाउ कैसे मै तुझे विश्वास दिलाऊ
तू है मेरे जीवन की डोर जिसका कोई ओड़ न छोड़
इस लिए इतना ही कहता हूँ तुझे मझे हो मुबारक आज का ये दिन खास… ये दिन खास