Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2021 · 1 min read

जीवन संगिनी निमित्त पत्र

जीवन संगिनी निमित्त पत्र

उस रात मेरे सपने में प्रिये दुर्गे दी दिखाई रे
शान देख कर जगदम्बा की , सुध – बुध अपनी खोई रे
अति आनन्द हर्ष ह्रदय में , गद – गद मेरे होइ रे
विह्वल भाव विभोर हुआ मैं , नैनों नीर बहाया रे
हाथ जोड़ कीन्हा अभिवादन चरणों शीश नवाया रे
वाणी हो गयी बन्द प्रिये , कुछ भी तो ना कह पाया रे
हाल देख कर जब माता ने , छाती मुझे लगाया रे
आँचल से आंसू पोंछे मेरे , माथे चुम्बन लाया रे
सिर पर हाथ फेर कर बोली , इतना क्यों घबराया रे
क्या है कष्ट तुझे मेरे छोना , मैं तो सदा सहाई रे
आँख खोल मैं देखन लागा , पास खड़ी तू पायी रे
हाथ चाय का प्याला लेकर , अधरों पर मुस्कान लिए
उषा काल में जगा रही थी , मधुर स्वरों में आप प्रिये
तू भी अंश उसी दुर्गे का , बात समझ मेरी आयी रे
अन्नपूर्णा , गृह – लक्ष्मी बन मेरे घर तू आई रे
धर्म , कर्म , सुख , दुःख की संगी – साथी मैंने पायी रे
धन्य हो गया तुमको पा कर सब कुछ मैंने पाया रे
अच्छा भाग्य लिखा विधाता ने बार बार इठलाऊं रे

दया राम , स. अ. ( सेवा निवृत ) , के. वि. सं.
निवास :- ग्राम पाली , ग्रेटर नोयडा
जी . बी . नगर , ( उ. प्र. ) , भारत

29 Likes · 63 Comments · 888 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये सच है कि सबसे पहले लोग
ये सच है कि सबसे पहले लोग
Ajit Kumar "Karn"
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
Lokesh Sharma
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नारी और चुप्पी
नारी और चुप्पी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
वो लम्हे जैसे एक हज़ार साल की रवानी थी
अमित
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
singh kunwar sarvendra vikram
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
न किजिए कोशिश हममें, झांकने की बार-बार।
ओसमणी साहू 'ओश'
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
हम अरण्यरोदण बेवसी के जालों में उलझते रह गए ! हमें लगता है क
DrLakshman Jha Parimal
*जिसको सोचा कभी नहीं था, ऐसा भी हो जाता है 【हिंदी गजल/गीतिका
*जिसको सोचा कभी नहीं था, ऐसा भी हो जाता है 【हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
Forget and Forgive Solve Many Problems
Forget and Forgive Solve Many Problems
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
विदाई
विदाई
Aman Sinha
नफ़रत
नफ़रत
विजय कुमार अग्रवाल
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
Chunnu Lal Gupta
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
Pt. Brajesh Kumar Nayak
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
ओनिका सेतिया 'अनु '
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
উত্তর দাও পাহাড়
উত্তর দাও পাহাড়
Arghyadeep Chakraborty
सुप्रभात
सुप्रभात
*प्रणय*
अगर प्रेम में दर्द है तो
अगर प्रेम में दर्द है तो
Sonam Puneet Dubey
आप नौसेखिए ही रहेंगे
आप नौसेखिए ही रहेंगे
Lakhan Yadav
कहो तो..........
कहो तो..........
Ghanshyam Poddar
झूठे से प्रेम नहीं,
झूठे से प्रेम नहीं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
पसंद प्यार
पसंद प्यार
Otteri Selvakumar
Loading...