घाव मरहम से छिपाए जाते है,
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
मैने देखा है लोगों को खुद से दूर होते,
- बहुत याद आता है उसका वो याराना -
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
अपना अनुपम देश है, भारतवर्ष महान ( कुंडलिया )*
यूं संघर्षों में पूरी ज़िंदगी बेरंग हो जाती है,
रास्ते का पत्थर मात्र नहीं हूं
#वीरबालदिवस
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
"उम्मीद की किरण" (Ray of Hope):
" वाई फाई में बसी सबकी जान "