जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ ना रह गया
*योग दिवस है विश्व में, इक्किस जून महान (पॉंच दोहे)*
सुनबऽ त हँसबऽ तू बहुते इयार
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हसरतों की राह में, यूँ न खुद को खोते रहो,
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कौन सा हुनर है जिससे मुख़ातिब नही हूं मैं,
"कदम्ब की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
जब बगावत से हासिल नहीं कुछ हुआ !
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!