जीवन वधू
सँजोये स्वर्ण का सेंदुर
पहनकर वासना मुदरी
पिये दुर्बुद्धि की मदिरा
उदात्त लाज जी चुनरी।
बना मद को नयन काजल
सजा हीरों से निज सेजिया
लगा कर झूठ की बिंदिया
पहन कर लोभ की पायल।
पिया के गांव को जाती
वधु जीवन की आंधी सी।
पिया—प्रिय लक्ष्य –भौतिक समृद्धि