जीवन यूॅं जियो हर पल
जीवन यूॅं जियो हर पल
हसीं अहसास बन जाए
हमारे साथ भी महके
हमारे बाद रह जाए
बुरा बेशक जहाॅं समझे
सॅंवारो कर्म खुद के यूॅं
दागी चाॅंद की बेदाग
किरणों से छिटक जाऍं
किसी को याद करने का
हुनर आए तो यूॅं आए
जितना दूर हो कोई
उतना पास ही पाऍं
ज़रूरी है कि कुदरत से
रखें हम गुफ्तगू जारी
कहीं ये मन हमारा भी
शहर सा ही न बन जाए
हो विश्वास इस हद तक
करिश्मा सा यूॅं हो जाए
पगडंडी हो खाली पर
वहाॅं कोई नज़र आए
कोशिश हो रखें हम दूर
खुद को हर बुराई से
कहीं हम से ही पहले
रूह ही अपनी न मर जाए
दीपाली कालरा
नई दिल्ली