जीवन यात्रा
जिसका न हो
कोई अंत
वही होता है
अनंत
ब्रह्मांड अनंत
सृष्टि अनंत
देव अनंत
ईश पक्षिय है
अनंत
मन की
चंचलता अनंत
इच्छाऐं अनंत
लालच अनंत
कुचेष्टाऐ अनंत
घोटाले अनंत
भ्रष्टाचार अनंत
अशान्ति अनंत
बीमारियां अनंत
मानव पक्षिय है
ये अनंत
जन्म से अंत
तक का सफर है
जीवन यात्रा
जब खत्म हुआ सफर
हो गयी शून्य जिन्दगी
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल