जीवन यह दुश्वार बहुत है
जीवन यह दुश्वार बहुत है
दिल मेरा बेजार बहुत है
याद नहीं करता वो मुझको
पर कहता है प्यार बहुत है
उसकी बातों में मत आना
उसके भीतर ख़ार बहुत है
सोच समझकर नेह लगाना
रिश्तों में व्यापार बहुत है
उसकी सूरत है भोली पर
शबनम में अंगार बहुत है
घात लगाकर बैठा है जो
बातों से रसदार बहुत है
चैन कहाँ ‘आकाश’ मिलेगा
दुनिया में तकरार बहुत है
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 18/07/2021