जीवन मे कभी हार न मानों
हार न मान तू अपने जीवन में
इतनी जल्दी न टूटकर बिखर।
खुद को समेट ले तू कसकर
रख हौसला अपने ऊपर
फिर जाके तुम एक रोज निखरेगा।
ढल रहा है सूरज जो आज
कल अँधियारा चीरकर फिर निकलेगा।
देना है तुम्हें खुद को आकार नया
तो इस्पात की तरह तुम्हें
पहले तपना और फिर पिघलना पड़ेगा।
फिर जाके तुम्हारे जीवन का
वह सुनहरा क्षण बनेगा।
ढल रहा है सूरज जो आज
कल अँधियारा चीरकर फिर निकलेगा।
जीवन मे आने वाले बाधाओं से
हर दिन डटकर लड़ना तुम्हें पड़ेगा।
तुफान भले तेरा रास्ता रोकें
अपना कदम तुम्हें बढ़ाते रहना होगा।
फिर जाके तेरा मन चाहा
मंजील तुम्हें मिलेगा।
ढल रहा है सूरज जो आज
अँधियारा चीरकर फिर निकलेगा।
मत हिम्मत हार तू अपना
संर्घष करते तुम्हें रहना पड़ेगा।
यह जीवन है, सबकी परीक्षा लेती
तुम्हें भी परीक्षा देना पड़ेगा।
पास करोगे अच्छे अंकों से
तब जाके जीवन चमकेगा।
ढल रहा है सूरज जो आज
अँधियारा चीरकर फिर निकलेगा।
~ अनामिका