जीवन में
आधार छंद – सिंधु
मापनी – 1222 1222 1222
रहे खुशियों भरा संसार जीवन में।
मिले बस प्रेम का व्यापार जीवन में।
सुसंगत में कटे जीवन कृपा करना-
बहे साहित्य का रसधार जीवन में।
रहे बस सत्य ही आधार जीवन भर।
मिले हर रोज ही त्योहार जीवन भर।
भले दौलत नहीं देना मुझे भगवन्-
बहे बस प्रेम का रसधार जीवन भर।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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