Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2018 · 2 min read

जीवन में समस्याओं का मूल कारण है क्रोध या गुस्सा

जीवन में समस्याओं का मूल कारण है क्रोध या गुस्सा
मनुष्य जीवन में क्रोध अग्नि एक दावानल की तरह होती है जो दूसरों पर प्रभाव डालने के साथ-साथ स्वयं को भी जलाती रहती है । अगर हम आत्म- चिंतन करें और इसके प्रभावों का गहनता से अध्ययन करें तो हमें यह पता चलेगा कि यह दूसरों की अपेक्षा स्वयं को ज्यादा दुख एवं कष्ट पहुंचाती है । क्रोध में मनुष्य स्वयं का विवेक व सहनशीलता खो देता है और वह सही और गलत निर्णय लेने में भी पूर्णतः असमर्थ हो जाता है । अक्सर सुनने में आता है कि व्यक्ति ने क्रोध में आकर दूसरों को हानि पहुंचाई लेकिन मेरा मानना है कि वह हानि दूसरों को नहीं बल्कि उसने स्वयं को पहुंचाई है। क्रोध के मूल कारणों में मुख्यतः स्वयं की गलतियां छिपाना, झूठ बोलना , स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ साबित करना , सच का सामना न कर पाना , व अपनी शारीरिक इंद्रियों को वश में न रख पाना शामिल है । किशोरावस्था में जब माता -पिता अपने बच्चों को सही और गलत का ज्ञान देते हैं तो उस समय बच्चे मन ही मन क्रोध वश अपने माता पिता को कोसते हैं और संभवतः इसका बुरा परिणाम ही निकलता है । वर्तमान खान-पान व जीवन शैली भी इसका एक मुख्य कारण बनता जा रहा है । छोटे परिवारों मे परस्पर मेलजोल तो जैसे खत्म ही हो गया है । इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति सामाजिक न होकर केवल अपने तक ही सीमित रह गया है ।यह अकेलापन भी उसके क्रोध का एक मुख्य कारण माना गया है। क्रोध में संभवतः व्यक्ति को ब्लड प्रेशर व हृदय घात जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है और कई बार तो उसे अपने शरीर से भी हाथ धोना पड़ सकता है । क्रोध या गुस्से में व्यक्ति अपने और पराए में फर्क भी महसूस नहीं कर पाता । एक खबर पढ़कर मैं स्वयं हैरान हो गया जब एक पिता ने क्रोध वश अपने ही बच्चों व परिवार के सदस्यों को क्रोध अग्नि की भेंट चढ़ा दिया। बाद में उसके पास पछतावे के लिए भी कुछ नहीं रहा। मेरा मानना है कि जब कभी आप किसी निर्णय से संतुष्ट नहीं है या आप को क्रोध आ रहा हो तो थोड़ी देर के लिए एकांत में जाकर उसके अच्छे व बुरे परिणामों के बारे में विचार करें। क्रोध में लिया गया कोई भी फैसला सही नहीं हो सकता और इसमें स्वयं को नुकसान होने की ज्यादा संभावना होती है। विनम्रता व आदर भाव क्रोध निवारण के अचूक हथियार माने गए हैं । आप सभी से मेरा निवेदन है कि जीवन में विनम्रता को अपनाकर स्वयं को खुश रखे ।

Language: Hindi
Tag: लेख
602 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शायरी
शायरी
goutam shaw
खालीपन
खालीपन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
इकिगाई प्रेम है ।❤️
इकिगाई प्रेम है ।❤️
Rohit yadav
2676.*पूर्णिका*
2676.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्तो से जितना उलझोगे
रिश्तो से जितना उलझोगे
Harminder Kaur
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
जो बैठा है मन के अंदर उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
अजब प्रेम की बस्तियाँ,
sushil sarna
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
मैं अकेली हूँ...
मैं अकेली हूँ...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
बात
बात
Ajay Mishra
विचार
विचार
Godambari Negi
राजकुमारी
राजकुमारी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
*घर आँगन सूना - सूना सा*
*घर आँगन सूना - सूना सा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
शिकायत लबों पर
शिकायत लबों पर
Dr fauzia Naseem shad
जरूरी और जरूरत
जरूरी और जरूरत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"अश्क भरे नयना"
Ekta chitrangini
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
एक तूही दयावान
एक तूही दयावान
Basant Bhagawan Roy
"मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
बौराये-से फूल /
बौराये-से फूल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
इस मोड़ पर
इस मोड़ पर
Punam Pande
अपराध बोध (लघुकथा)
अपराध बोध (लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
“ कौन सुनेगा ?”
“ कौन सुनेगा ?”
DrLakshman Jha Parimal
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...