जीवन में बहुत कुछ हारा हमने
जीवन में बहुत कुछ हारा हमने,
हालात से खुद को उबारा हमने।
सीखने की कोई उम्र नहीं होती,
पल -पल खुद को सुधारा हमने।
यही तो गांवों की तहजीब है,
बड़े को आदर छोटे को दुलारा हमने।
देर से ही पर वो सुनता ज़रूर है,
आठों पहर उसे पुकारा हमने।
जीवन के उलझनो को सुलझाने में,
कितनी रातें जागकर गुजारा हमने।
बच्चों के तरह दौड़ते रहे छत पे
पकड़े हाथों में कई गुब्बारा हमने।
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला कुशीनगर