जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
रोज़-रोज़ इंसान नियमित मेहनत ही करता है,
समयबद्ध होकर बस अपना काम निपटाना है,
योजनाबद्ध लय में लक्ष्य पे समर्पित हो जाना है,
कर्त्तव्यपरायणता का धर्म बस निभाते जाना है,
हाॅं, परिश्रम के संग क़िस्मत भी आज़माना है,
माना, मेहनत भी कभी बेकार नहीं जाना है,
किसी-न-किसी क्षेत्र में उसे लग ही जाना है,
रखना भरोसा उतनी जल्दी नहीं घबराना है,
आज धैर्य और संयम का ही तो ज़माना है,
तक़दीर का सुंदर सा खेल देखते जाना है,
एक दिन सफलता का परचम लहराना है,
सफल होकर स्वादिष्ट मीठे फल खाना है।
…. अजित कर्ण ✍️