Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2023 · 1 min read

*जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह (सात दोहे)*

जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह (सात दोहे)
________________________
1)
जीवन में प्रभु दीजिए, नया सदा उत्साह
हर दिन अगले दिन रहे, जीने की कुछ चाह
2)
आयु मिले सौ वर्ष या, कल ही हो प्राणांत
कर्मठता बाहर दिखे, भीतर से मन शांत
3)
फूलों को देखो खिले, गर्मी वर्षा शीत
मौसम चाहे जो रहे, फूलों की ही जीत
4)
सदियों से करतीं नहीं, क्षण-भर भी विश्राम
नदियों को देखो सदा, चलना इनका काम
5)
जीवन का मतलब यही, मुख पर हो मुस्कान
दुनिया में रहते दिखो, भीतर प्रभु का ध्यान
6)
जीवन में यद्यपि निहित, मरण बुढ़ापा रोग
अपनी पारी खेलते, जमकर कर्मठ लोग
7)
बड़ी भले हो संपदा, कोठी आलीशान
मन के कोने में रखो, छोटा-सा शमशान
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
464 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

फिर से दोस्त बन जाते हम
फिर से दोस्त बन जाते हम
Seema gupta,Alwar
- ना रुक तू जिंदगी -
- ना रुक तू जिंदगी -
bharat gehlot
*दुलहिन परिक्रमा*
*दुलहिन परिक्रमा*
मनोज कर्ण
काली भजन
काली भजन
श्रीहर्ष आचार्य
भतीजी (लाड़ो)
भतीजी (लाड़ो)
Kanchan Alok Malu
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
बस्ता
बस्ता
sushil sharma
3144.*पूर्णिका*
3144.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मां सिद्धिदात्री
मां सिद्धिदात्री
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मिथिला -मैथिली: असमंजस स्थिति।
मिथिला -मैथिली: असमंजस स्थिति।
Acharya Rama Nand Mandal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मर्ज ए इश्क़ ( इश्क़ -ए हक़ीक़ी पर आधारित )
मर्ज ए इश्क़ ( इश्क़ -ए हक़ीक़ी पर आधारित )
ओनिका सेतिया 'अनु '
मरने के बाद।
मरने के बाद।
Taj Mohammad
* कुछ सीख*
* कुछ सीख*
Vaishaligoel
हंसते-हंसाते
हंसते-हंसाते
ललकार भारद्वाज
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
Neeraj Pandey
"चाहत का सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
जय माँ शारदे🌹
जय माँ शारदे🌹
Kamini Mishra
मैं चंचल हूँ मेघों के पार से आया करता हूँ ।
मैं चंचल हूँ मेघों के पार से आया करता हूँ ।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
आज के रिश्ते: ए
आज के रिश्ते: ए
पूर्वार्थ
ग़ज़ल:- मेरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम मेरे सर आया...
ग़ज़ल:- मेरे ही क़त्ल का इल्ज़ाम मेरे सर आया...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
पिता
पिता
Swami Ganganiya
मृत्यु ही एक सच
मृत्यु ही एक सच
goutam shaw
हम गलत को गलत नहीं कहते हैं
हम गलत को गलत नहीं कहते हैं
Sonam Puneet Dubey
नफरतों के शहर में प्रीत लुटाते रहना।
नफरतों के शहर में प्रीत लुटाते रहना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
धरोहर
धरोहर
Karuna Bhalla
उसको उसके घर उतारूंगा
उसको उसके घर उतारूंगा
डॉ. दीपक बवेजा
Loading...