जीवन में नाते रिश्ते
रखो
आपस में
प्रेम ,
अपनापन
रहेंगे ज़िन्दा
नाते रिश्ते
रह नहीं
जाता कुछ
जब टूट
जाता है
नाता
आत्मा का
देह से
जोड़ो नाता
ईश से
वही है
पालनहार
बाकी सब
तो है
भ्रम और
मायाजाल
आसान है
तोड़ना
नाता
अपनों से
लग जाते हैं
वर्षों
नाते जोड़ने में
करो सम्मान
नातों का
यही देंगे
जीवन में
मान और शान
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल