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17 Jan 2019 · 1 min read

जीवन में गति

जल की
गति
रोक दो
तो प्रलय
आ जाता है

विचारों का
प्रवाह
रोक दो तो
मन में
तूफान
आ जाता है

शंकर ने समाई
जटा में गंगा
और दिया
धरती पर प्रवाह
फिर कहलाए
गंगाधराए

जब तक है
जल स्थिर रूप में है
कहलाए बर्फ वो
जब हो जाए
चंचल वो और
आ जाएँ प्रवाह उसमें
और बन जाए
नदी, झरना वो

विचारों को गति
दो इतनी कि
मिले उससे
हर किसी को
जीवन में
बस सदगति

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
179 Views
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