Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2019 · 1 min read

जीवन में कांटे

मैं
चला जा रहा था
राह पर
ठोकर लगी
चोट गहरी थी
अंगूठे में
मैने सड़क पर पड़े
पत्थर की उलाहना की
और आगे बढ़ गया

एक कांटें ने चुभ कर
फिर मेरे पैर को
चोट पहुँचाई

असहनीय पीड़ा को
सहते हुए भी
मैं
आगे बढता रहा
उस ठोकर लगाने वाले
पत्थर को ना हटा कर
और
उस पैर में चुभने वाले
कांटे को ना हटा कर

मेरे पीछे और भी
आ रहे है साथी
मैंने जो पीड़ा भोगी है
वह दूसरे नही भोगें
यह मैंने नही सोचा
जबकि मुझे ऐसा सोचना था
अगर ऐसा सोचता तो
मैं राह की दिक्कतों को
दूर करता जाता
जिससे सुगम होते रास्ते
मेरे अजनबी
मेरे अनजान
दोस्तों के वास्ते

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल

Language: Hindi
204 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं मेरा ऐसा चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
आज कल ट्रेंड है रिश्ते बनने और छुटने का
आज कल ट्रेंड है रिश्ते बनने और छुटने का
पूर्वार्थ
..
..
*प्रणय प्रभात*
गौ माता...!!
गौ माता...!!
Ravi Betulwala
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
फूल भी खिलते हैं।
फूल भी खिलते हैं।
Neeraj Agarwal
पकड़कर हाथ छोटा बच्चा,
पकड़कर हाथ छोटा बच्चा,
P S Dhami
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
कवि दीपक बवेजा
बकरा नदी अररिया में
बकरा नदी अररिया में
Dhirendra Singh
*रामनगर के विश्व प्रसिद्ध रिजॉर्ट*
*रामनगर के विश्व प्रसिद्ध रिजॉर्ट*
Ravi Prakash
अंधविश्वास
अंधविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
मछली रानी
मछली रानी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
खुशियों की आँसू वाली सौगात
खुशियों की आँसू वाली सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3831.💐 *पूर्णिका* 💐
3831.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अमिट सत्य
अमिट सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
Neelam Sharma
दूसरों का दर्द महसूस करने वाला इंसान ही
दूसरों का दर्द महसूस करने वाला इंसान ही
shabina. Naaz
आंखें मूंदे हैं
आंखें मूंदे हैं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
बस चार ही है कंधे
बस चार ही है कंधे
Rituraj shivem verma
समस्या विकट नहीं है लेकिन
समस्या विकट नहीं है लेकिन
Sonam Puneet Dubey
ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
डॉक्टर रागिनी
"संकल्प-शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
समस्त देशवाशियो को बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म जयंती की हार
समस्त देशवाशियो को बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म जयंती की हार
Ranjeet kumar patre
मेरी यादों में
मेरी यादों में
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ख़ुद की खोज
ख़ुद की खोज
Surinder blackpen
अभी  बाक़ी  है  मेरी  जान , तेरी  जान  की  साथी ,
अभी बाक़ी है मेरी जान , तेरी जान की साथी ,
Neelofar Khan
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
Kumar lalit
Loading...