” ——————————————— जीवन में कई रंग बिखेरे ” !!
भाग दौड़ एहसास थकन का ,
पल पल लगे थके से !
तुमने दी दरवाजे दस्तक ,
रह गए हम ठगे से !
हुआ संचरण आशाओं का ,
निकले चतुर चितेरे !!
रोना धोना हंसी इठलाना ,
पंख लगे समय को !
तुझमें ऐसे डूब गए हम ,
छू गये यों हृदय को !
हम तुम झूम रहे मस्ती में ,
हैं खुशियों के फेरे !!
स्वांग भरे यों कई तरह के ,
सब बौने से लगते !
चित्रावली के पृष्ठ पृष्ठ अब ,
अकसर हमको ठगते !
हारे हारे लगे सभी हैं ,
जीत तम्हें ही टेरे !!
बृज व्यास