जीवन पथ
तबाही का भी जलसा मनाते चलिए
पराये को भी अपना बनाते चलिए
हमदर्दी की, किसी से, उम्मीद मत करना
ज़ख़्म अपने हैं, इन्हें भी अपनाते चलिए
तकलीफ़ों से बहुत वाक़िफ़ हो चुकी ज़िंदगी
दर्द कोई, नया मिले , तो मुस्कुराते चलिए
मिलना मिलाना बहुत हो चुका सब से
ख़ाली हो ग़र, तो ख़ुद को ख़ुद से मिलाते चलिये
बड़ा आसान होता है हवाओं के साथ चलना
लगे हाथ हो सके तो आँधियों से टकराते चलिए
डा ० राजीव” सागरी”