जीवन दीन क्षीण हीन
स्वर्ण पींजड़ा
चमकविहीन।
महसुस करता
पंखविहीन।
नभ पे डालता दृष्टि
कितनी अनुपम सृष्टि
गृह शोभा को बंधे
कुल महत्वहीन।
दुःख व्याप्तिकरण
रोष प्रकटिकरण
मन मलिन ।
भाग्य का योग
परिवार से वियोग
जीवन दीन क्षीण हीन ।
स्वर्ण पींजड़ा
चमकविहीन।
महसुस करता
पंखविहीन।
नभ पे डालता दृष्टि
कितनी अनुपम सृष्टि
गृह शोभा को बंधे
कुल महत्वहीन।
दुःख व्याप्तिकरण
रोष प्रकटिकरण
मन मलिन ।
भाग्य का योग
परिवार से वियोग
जीवन दीन क्षीण हीन ।