जीवन दान
रोज की तरह मैं आज भी अपने क्लीनिक में समय पर पहुँच गयी थी | क्लीनिक के बाहर सुबह मेरे पहुँचने से पहले ही रोज की तरह कई महिला मरीज मेरे आने की प्रतीक्षा कर रहीं थीं | मुझे देखते ही उनके चेहरे पर चमक आ गयी थी क्योंकि आज मैं पुरे १५ दिनों के बाद क्लीनिक गयी थी , मैंने भी अपनी बेटी को जन्म दिया था , सच कितना सुखद लग रहा था की अब मुझे भी कोई माँ पुकारने वाली मिल गयी है | मैं चाहती तो थी की अभी १५ दिन और आराम करती और अपनी बेटी के साथ समय बिताती, परन्तु हम डाक्टरों के लिए अपने से अधिक हमारे मरीज अजीज़ होते हैं जो हममें आस्था रखते हैं और हमारी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं , हमें छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहते हैं |ये सोचकर मैंने आज ही ज्वाइन कर लिया था |
मैं एक एक करके मरीज महिलाओं को बुलवाती और देखती रही | तभी एक ऐसी महिला दाखिल हुई जो अपनी बेटी को साथ लेकर आई थी | उस महिला से मैंने तकलीफ के विषय में पूछा तो उसने कहा कि “मुझे नहीं मेरी बेटी को देखना है |” अत: मैंने उसकी बेटी से पूछा तो उसकी माँ ने कहा कि डाक्टर मैडम “मेरी बेटी ——- शादी से पहले ही——एक लड़के ने धोखा दिया | इसको ऐसे हाल में छोड़कर —— ऐसी हालत में किसी को क्या मुँह दिखायेंगे ” मैंने कहा “अब क्या चाहती हो” उसने कहा कि मैडम आप मुझ पर दया करके इसका बच्चा गिरा दीजिये | यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया कि ये लोग अपने बच्चों पर तो कण्ट्रोल करते नहीं, उनको सही शिक्षा तो देते नहीं और चले आते हैं हमसे ये गलत काम करवाने , मैंने उसको बहुत जोर से डांट कर मना कर दिया, इस पर वो मेरे पैरों पर गिर गयी , बहुत साधारण सी लग रही थी वर्ना वो कहीं और जाकर पैसों के दम पर अपना मनचाहा करवा सकती थी | मेरे मन ने ऐसा करना गंवारा नहीं किया, मैं सोच में पड गयी ,लेकिन पुनः मैंने उस महिला और उसकी बेटी को वहां से चले जाने को कहा| तभी अगली महिला मरीज़ अपने पति के साथ अन्दर दाखिल हुई | मैं उनको पहले से जानती थी , ये महिला पिछले ३/४ महीनो से मुझे दिखने आ रही थी , उसको विवाह के कई साल बाद भी कोई बच्चा नहीं हुआ , कई जगह इलाज कराने पर ही मेरे पास आयी थी , मैंने उसके और उसके पति की जांच के लिए टेस्ट लिखे थे, जिसकी रिपोर्ट साथ लेकर आई थी , उसकी सारी रिपोर्टों को देखने पर इस नतीजे पर पहुंची कि वो कभी माँ नहीं बन सकती , जिसको सुनकर वे दोनों पति पत्नी बहुत दुखी हो गए, कोई रास्ता नहीं बचा था | मैंने इन दम्पति को बच्चा गोद लेने की सलाह दी , इस पर उन्होंने सोच विचार करने के बाद मुझ पर ही बच्चा गोद दिलवाने की जिम्मेदारी सौंप दी क्योंकि वे मुझ पर बहुत विश्वास करते थे और चिकित्सा के विषय में अन्य सलाह मशवरा भी करते रहते थे | तभी सहसा मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और मैंने अपनी सहायिका को बाहर जाकर उस महिला और उसकी बेटी को बुलाकर लाने को कहा जो बाहर बैठी अब भी बच्चा गिराने के लिए मेरे हाँ कहने की प्रतीक्षा कर रहीं थीं | मैंने उन माँ बेटी और उन दम्पति को आमने सामने करा दिया |
करीब ६ महीने बाद मैं रोज की ही तरह अपने क्लीनिक में अपनी महिला मरीज़ देख रही थी कि वे दम्पति जो एक दिन इसी क्लीनिक में काफी निराश होकर बैठे थे, उनको गोद में बच्चा लिए आते हुए देखा ,उनके चेहरे से अपार ख़ुशी झलक रही थी उन्होंने प्रसन्नता से रूंधे हुए गले से कहा कि “डाक्टर दीदी आपने हमें ये बच्चा दिलाकर जीवन दान दे दिया है, आपका कैसे शुक्रिया अदा करें |” सच उस दिन घर लौटते हुए मेरे मन में बहुत संतोष था कि आज सही अर्थों में मैंने डाक्टर होने का फ़र्ज़ अदा किया है | मैं अपने घर पहुंची अभी गाड़ी से उतर ही रही थी कि वह महिला और उसकी बेटी मेरे पैरों पर गिर पड़े और उस समस्या से बाहर निकालने के लिए धन्यवाद किया | उस दिन मुझे यह अहसास हुआ कि एक सही निर्णय किसी को जीवन दान दे सकता है |