जीवन जीना सबकी जरूरत है!!
जीवन जीना सबकी जरूरत,
जीने को सभी प्रयत्नरत्त,
अपनी सुविधा,
अपनी हैसियत,
जो हो जाए,
जितना मिल जाए,
उसमें ही हम रम जाते,
स्वंयम कमाते,
सपरिवार मिलकर हैं खाते,
दुआ सलाम उन सबसे करते,
राह में जो हमें मिल जाते।
यह कोरोना क्या मर्ज है,
जीवित रहना सबका फर्ज है,
घर पर रह कर भी देख लिया है,
यह निगोडा यूं अंडा है,
हमें डराने को खड़ा है,
पर अब कब तक हम घर पर रुक सकते हैं,
काम धंधे से भी वंचित हो सकते हैं,
राशन का भी इंतजाम करना है,
बिजली-पानी का भी बील भरना है,
कोरोना से अब कितना डरना है
इसी लिए अब घर से बाहर निकलना है,
हां थोड़ा सा बच के रहना है।
दुनिया जहान की हम ना जाने,
हम स्वयंम को ही पहचानें,
अपनों को जब हम सुख दे सकते हैं,
तो अपनों पर ही भार क्यों बढ़ाएं,
थोड़ा-थोडा मिलकर कमाएं,
मिल बैठकर खाना खाएं,
खाने में पौष्टिकता अपनाएं
रोग प्रतिरोधक क्षमताएं बढ़ाएं,
गरिष्ठ पदार्थों को घर में ना लाएं,
साग सब्जी और फल खुब खाएं,
दूध में हल्दी पाउडर मिलाएं,
और रात में पीकर सो जाएं,
गरम पानी को उपयोग में लाएं,
नींबू, गिलोय, लहसुन, और हल्दी,
कालीमिर्च, लौंग और इलायची,
तुलसी के पत्ते, मुनक्के के संग में,
थोड़ा सा गुड़ भी मिलाएं,
और उसका काढा बनाकर,
उसको सबके साथ बांटकर पी जाएं
इन सब नुस्खों को अपनाएं,
फिर बे झिझक कर काम को जाएं,
काम पर सबसे भौतिक दूरी, अपनाएं,
आओ मिलकर इस डर को भगाएं।