जीवन – चक्र
झुरमुटों की छांव में
कुछ पल गुजार लें
उबासी लेती जिंदगी का
आज फिर हिसाब लें।
दूर तक निगाह में
सब्र के हिंडोले में
अश्क भरे आंसूओं का
आज फिर हिसाब लें ।
क्या करूँ इन फासलों का
अंतहीन सिलसिलों का
धुमिल चित्र-बृंदों का
आज फिर हिसाब लें ।
गिरती संभलती
पगडंडियों पर प्यार – सी
गहराती सांझ में
स्वत्व को निहारती ।
साथ चले कदमों का
आज फिर हिसाब लें ।
अनिल कुमार श्रीवास्तव
08/08/19