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10 Aug 2018 · 1 min read

” जीवन क्या होगा “

दृष्टि ही ना रही अगर तो दर्पण क्या होगा,
कृष्ण नहीं रहे अगर तो मधुबन क्या होगा,
ऑंगन में बिखरे ना जो तरह-तरह के खेल-खिलौने,
शरारत अगर नही रही तो बचपन क्या होगा,
भले रात में कण-कण करके मोती बरसें,
भोर अगर न होती तो शबनम क्या होगा,
जीवन में खुशियां ना हों तो जीवन क्या होगा।

Language: Hindi
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