जीवन को जीने दो !
जीवन को जीने दो !
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अभी बालक है सीखने दो ,
जीवन को जीने दो !
अभिलाषा का है आकांक्षी ,
पूरा करो करने दो ,
जीवन को जीने दो !
अश्रुपूरित ना हो यौवन –
खूब मजे से स्नेह पीने दो,
जीवन को जीने दो !
आभास ना हो अश्रु कणिका का ,
आहत क्रंदित ना होने दो ;
जीवन को जीने दो !
विघटित-खंडित धरती की,
बिखरी स्मृतियां –
धीरे धीरे संजोने दो ,
जीवन को जीने दो !
अभी बालक है खिलने दो ,
जीवन को जीने दो !
निराश ना हो यौवन सुरभित,
स्नेह सरसमय मधुमय सींचित !
संस्कारों के यज्ञशाला में ,
डूबकी खूब डूबोने दो ;
जीवन को जीने दो !
✍? आलोक पाण्डेय ‘विश्वबन्धु’