……..जीवन के हमसफ़र…………
तकदीर से मिली हो तुम हमसफ़र
साथ मेरे चली हो तुम हमसफ़र।।
बहार आये या फिर खिजां छाये
मन की कली हो तुम हमसफ़र।।
मन में जो बुने थे हमने हर सपने
ठीक से ढ़ली हो तुम हमसफ़र।।
भलमनसाहत के दिखते अभाव
बहुत ही भली हो तुम हमसफ़र।।
दुनियाँ के तानों से हूँ आहत मैं
मरहम मली हो तुम हमसफ़र।।
हरओर दिखते नफरत के नजारे
प्रेम की गली हो तुम हमसफ़र।।
प्रेम का पुजारी सिर्फ मैं ही नहीं
इसमें जली हो तुम हमसफ़र।।
” आनंद ” प्यार की जुस्तजू में था
अंत में मिली हो तुम हमसफ़र ।।
– surya barman ✍️