जीवन के लम्हें—-
जीवन मे कुछ लम्हें,
ऐसे भी आते हैं।
हम नए रिश्ते बनाते हैं
और पुराने से भागते हैं।
उम्मीद हमसे होती है
और हम उम्मीदें लगाते हैं।
अपने; पराये लगते हैं
और पराये; अपने होते हैं।
कुछ रिश्ते अहम होत्र हैं,
तो कुछ बेदम लगते हैं।
अपनो से सद्भाव रखते हैं
और गैरों से द्वेष रखते हैं।
गैरो को नसीहत देते हैं
और अपनों को सीख देते हैं।
कुछ सवाल उलझे रहते हैं,
और कुछ सुलझ जाते हैं।
कभी हम सुखों का पीछे भागते,
तो कभी दुखों से हम झल्लाते।
सदा भागते वैभव के पीछे,
तृष्णा-क्षुधा न साथ छोड़ते।
सुख-दुख जीवन के हिस्से हैं,
ईर्ष्या-द्वेष तो सिर्फ किस्से हैं।
हम हंसते, खेलते गाते रहें,
सर्वजन सदा मुस्कुराते रहें।
–सुनील कुमार