जीवन के रंग
जीवन के रंग – दोहे
रंग जहाँ आनन्द का , मन को करे अनंग
करे प्रेम की भावना, जीवन को सतरंग।१।
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कहीं बरसती आँख हैं, कहीं छाँव सह धूप
जीवन के जो रंग हैं, हर मन का प्रारूप।२।
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व्याकुलता मन में कभी, उपजे कभी उमंग
कभी क्रोध की कालिमा, ढब जीवन के रंग।३।
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अपनेपन का रंग दे, सदा ताल से ताल
अहसासों के रंग से, हर जीवन खुशहाल।४।
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आयी कोई भी खुशी, हुआ चटख हर अंग
जीवन रहा उदास तो, झलका नीरस रंग।५।
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नदी खेत अमराइयाँ, बच्चे,तितली,फूल
है जीवन के रंग में, शामिल सूखी धूल।६।
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घूसर विरही की छटा, हरा सजन का संग
वैरी मन काला करे, जीवन का हर रंग।७।
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जीवन ऐसा पुष्प है, जिसमें रंग अनेक
मानव तेरे हाथ यह, जिसका रख अतिरेक।८।
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काले मन के रंग से, हुआ मलिन हर अंग
बौछारों से प्रेम की, निखरे जीवन रंग।९।
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एक अकेला मन रहा, जिस पर पूरा भार
जीवन के हर रंग को, नफरत रही उतार।१०।
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