*जीवन के मिले हुए सौ साल 【भक्ति-गीत】*
जीवन के मिले हुए सौ साल 【भक्ति-गीत】
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रोज हो रहे कम जीवन के मिले हुए सौ साल
(1)
रोज बुलाता हूँ तुमको लेकिन तुम कब आते हो
रोज बहाना न आने का कोई दे जाते हो
कभी-कभी लगता है जैसे तुमको पा जाऊँगा
कभी-कभी लगता है जैसे पकड़ नहीं पाऊँगा
रह जाता हूँ चुप रोजाना करता नहीं सवाल
(2)
रोज खिंच रहा समय हमारा मधुर-मिलन कब आया
तुम कब आए ,देख तुम्हें मैं नहीं अभी तक पाया
कोई सूरत नहीं तुम्हारी ,कब पहचान तुम्हारी
एक अनवरत यात्रा जैसे गुमनामी में जारी
रोज तुम्हारा बिना मूर्ति के करता हूँ मैं ख्याल
(3)
मुझसे मिलो एक दिन मेरे प्रेम-पाश में आओ
आकर मेरे रोम-रोम में ,वापस कहीं न जाओ
बसे रहो मेरे भीतर ,मैं तुम जैसा हो जाऊँ
साँस – साँस में दर्शन सिर्फ तुम्हारा ही प्रभु पाऊँ
आओ दौड़े-दौड़े अब तो पूछो मेरा हाल
रोज हो रहे कम जीवन के मिले हुए सौ साल
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451