Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2018 · 1 min read

जीवन के आधार (सरसी छंद)

ईश्वर के दो रूप सही है, निराकार साकार !
सृजनहार हैं सत्य सृष्टि के,है इनसे आधार!
दिये सृष्टि ने हमे अनगिनत, नित्य मित्र उपहार!
समझेगा कब इसे आदमी, …इनसे है संसार! !

हवा भूमि जल अग्नि व्योम हैं, जीवन के आधार !
इनसे ही है पूर्ण जिंदगी,……कर लेना स्वीकार!
पञ्च तत्व के सहज मेल से , लेता तन आकार !
तत्व सभी अनमोल इसलिए, …इनसे हैं संसार !!
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 275 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

नारियल पानी ठेले वाला!
नारियल पानी ठेले वाला!
Pradeep Shoree
"टूट कर बिखर जाउंगी"
रीतू सिंह
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
Shreedhar
बेटी
बेटी
Vandna Thakur
प्यारे मोहन
प्यारे मोहन
Vibha Jain
- अभी -अभी -
- अभी -अभी -
bharat gehlot
*राममंदिर का भूमिपूजन*
*राममंदिर का भूमिपूजन*
Pallavi Mishra
** मैं **
** मैं **
Koमल कुmari
चांद
चांद
Shekhar Chandra Mitra
**लम्हे**
**लम्हे**
AVINASH (Avi...) MEHRA
'मेरे गुरुवर'
'मेरे गुरुवर'
Godambari Negi
पंक्तियाँ
पंक्तियाँ
प्रभाकर मिश्र
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
शिव शक्ति
शिव शक्ति
Anup kanheri
खुदा ने इंसान बनाया
खुदा ने इंसान बनाया
shabina. Naaz
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
अंधेरों से जा मिला
अंधेरों से जा मिला
अरशद रसूल बदायूंनी
कुछ तो नहीं था
कुछ तो नहीं था
Kaviraag
3410⚘ *पूर्णिका* ⚘
3410⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
Dr Archana Gupta
दिल लगाकर उससे, हम कौन हैं, ये हमीं भूल गए,
दिल लगाकर उससे, हम कौन हैं, ये हमीं भूल गए,
Shikha Mishra
Easy is to judge the mistakes of others,
Easy is to judge the mistakes of others,
पूर्वार्थ
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
*गाते हैं जो गीत तेरे वंदनीय भारत मॉं (घनाक्षरी: सिंह विलोकि
Ravi Prakash
रूप श्रंगार
रूप श्रंगार
manjula chauhan
ख़ुश रहना है
ख़ुश रहना है
Monika Arora
"मोहब्बत में"
Dr. Kishan tandon kranti
लड़कियों को हर इक चीज़ पसंद होती है,
लड़कियों को हर इक चीज़ पसंद होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
भूल कर
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
क्षेत्रक
क्षेत्रक
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
Loading...