Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2022 · 1 min read

“जीवन की स्मृतियां”

जीवन की स्मृतियां
“””””””””””””””””””””””””””””””
ओह! न हो सके सपने पूरे,
रह गए सब अधूरे,
अब अटपटा रही जुबान,
जा रहें जग छोड़े।
बचपन बीता, बीती जवानी,
बीत गया चौथा पन भी,
अब बंद होने वाली है आंखें,
भूलकर सारे रिश्ते-नाते भी।
व्यस्त जीवन के भाग-दौड़ में,
चैन नहीं कही दिन पलछिन,
पता नहीं चला कि कब?
जीवन मिला, कब बीत गया?
जब थकते थे, हारते थे,
ये दिन स्मरण में आते थे,
अब जाने वाले हैं जग छोड़े,
तब अपनापन और घेर रहा।
आज बचपन और जवानी की,
हमें अति सुधि आती है,
तब मोह-माया का बन्धन,
चेतना को और जकड़ती है।
जो अथक प्रयास रहे जीवन के,
वो बनकर तरंग उठते हैं,
ह्रदय में दुःख का सागर ,
लौ अंगार से जलते हैं।
मस्तिष्क से ह्रदय सागर तक,
हमने जो महसूस किया,
क्षणिक पल है जीवन के,
जो अब इन नयनों ने कैद किया।
वो व्यर्थ की व्यथा गाकर जुवान,
ह्रदय में टीस पहुंचाते हैं,
आजीवन समर्पण, प्रति कर्म के,
तब भी स्वप्न,अधूरे रह जाते हैं।
जन्म से मृत्यु तक,
उलझन में मान भटकता है,
संघर्षमय जीवन का अंत कहां?
यही से जीवन का अर्थ निकलता है।
जब तक पुरुषार्थ रहे तन में,
परिस्थितियां अनुकूल रहें,
अब प्राण निकलने वाला है काया से
आंखों में नींद सा घेर रहें ।
रिश्ते-नाते, घर-परिवार,
सब चेतना से बिसर रहें,
ख्याति रहेगा बस कर्म का,
नम आंखो में तैर रहें ।।

~वर्षा(एक काव्य संग्रह)/राकेश चौरसिया

Language: Hindi
1 Like · 107 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राकेश चौरसिया
View all
You may also like:
'Here's the tale of Aadhik maas..' (A gold winning poem)
'Here's the tale of Aadhik maas..' (A gold winning poem)
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
पहले प्रत्यक्ष को
पहले प्रत्यक्ष को
*प्रणय प्रभात*
*पाई कब छवि ईश की* (कुंडलिया)
*पाई कब छवि ईश की* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
विकास का ढिंढोरा पीटने वाले ,
विकास का ढिंढोरा पीटने वाले ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shweta Soni
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
प्रेम-प्रेम रटते सभी,
Arvind trivedi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Stop getting distracted by things that have nothing to do wi
Stop getting distracted by things that have nothing to do wi
पूर्वार्थ
"मैं मजाक हूँ "
भरत कुमार सोलंकी
अनुभूति
अनुभूति
Punam Pande
Right now I'm quite notorious ,
Right now I'm quite notorious ,
Sukoon
बहुत टूट के बरसा है,
बहुत टूट के बरसा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल की धड़कन भी तुम सदा भी हो । हो मेरे साथ तुम जुदा भी हो ।
दिल की धड़कन भी तुम सदा भी हो । हो मेरे साथ तुम जुदा भी हो ।
Neelam Sharma
नारायणी
नारायणी
Dhriti Mishra
Navratri
Navratri
Sidhartha Mishra
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*दादी की बहादुरी*
*दादी की बहादुरी*
Dushyant Kumar
आधार छंद - बिहारी छंद
आधार छंद - बिहारी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
" बीता समय कहां से लाऊं "
Chunnu Lal Gupta
अंत समय
अंत समय
Vandna thakur
"साहस"
Dr. Kishan tandon kranti
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
प्रेमदास वसु सुरेखा
2692.*पूर्णिका*
2692.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
पानी
पानी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मानसिक तनाव
मानसिक तनाव
Sunil Maheshwari
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
भोर अगर है जिंदगी,
भोर अगर है जिंदगी,
sushil sarna
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
कबीर एवं तुलसीदास संतवाणी
Khaimsingh Saini
श्री विध्नेश्वर
श्री विध्नेश्वर
Shashi kala vyas
Loading...