Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2022 · 1 min read

जीवन की विफलता

जीवन की विफलता बनती है सफलता ।
योग्यता के साथ अनुभव अगर होता है ।।

जिसका स्वभाव शान्त- सरल होता है।
उसके व्यक्तित्व का प्रभाव अमिट होता है।।

मन में तब असंतोष मुखर होता है।
कार्य जब कोई इच्छा के विरुद्ध होता है।।

निःस्वार्थ शब्द में भी स्वार्थ छिपा होता है।
वासना हो जिसमें वो प्रेम कहां होता है।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

16 Likes · 493 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
बच्चों ने वसीयत देखी।
बच्चों ने वसीयत देखी।
सत्य कुमार प्रेमी
दशमेश के ग्यारह वचन
दशमेश के ग्यारह वचन
Satish Srijan
"मित्रता दिवस"
Ajit Kumar "Karn"
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
Harminder Kaur
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
स्वयं को सुधारें
स्वयं को सुधारें
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"Every person in the world is a thief, the only difference i
ASHISH KUMAR SINGH
कोई ख़तरा, कोई शान नहीं
कोई ख़तरा, कोई शान नहीं"
पूर्वार्थ
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
डॉक्टर रागिनी
" देख "
Dr. Kishan tandon kranti
कविता : चंद्रिका
कविता : चंद्रिका
Sushila joshi
फिसला जाता रेत सा,
फिसला जाता रेत सा,
sushil sarna
लोगों के दिलों में,
लोगों के दिलों में,
नेताम आर सी
घर और घर की याद
घर और घर की याद
डॉ० रोहित कौशिक
■ संपर्क_सूत्रम
■ संपर्क_सूत्रम
*प्रणय*
सफलता की फसल सींचने को
सफलता की फसल सींचने को
Sunil Maheshwari
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
Ravi Prakash
मेरे पिता जी
मेरे पिता जी
Surya Barman
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
ज़माने की नजर से।
ज़माने की नजर से।
Taj Mohammad
3920.💐 *पूर्णिका* 💐
3920.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
वक़्त को वक़्त
वक़्त को वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
" *लम्हों में सिमटी जिंदगी* ""
सुनीलानंद महंत
आबाद मुझको तुम आज देखकर
आबाद मुझको तुम आज देखकर
gurudeenverma198
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
Suryakant Dwivedi
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज्ञान रहे सब पेल परिंदे,
ज्ञान रहे सब पेल परिंदे,
पंकज परिंदा
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
Phool gufran
Loading...