जीवन की बगिया में
जीवन की बगिया में
क्यों गरज रहे गम के बादल…
क्या कोई तुझसे रूठा है
या कोई संग छूटा है??
क्या ठेस लगी गहरी उर को
या छोड़ के आया अपने घर को??
बल्कि अब तक तक तो
बहुत होता सुंदर बगीचा होता
एक गहरी लता से हरा भरा होता,,,
नन्हे मुन्ने सुमन सरीखे से किलकारी भरता…
एक अनजाना सा बंधन !!!!!!
न जाने यह सोचने को मजबूर क्यों करता।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान