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8 Jun 2019 · 1 min read

जीवन की परिभाषा

जीवन भर सँग सँग चलती है, आशा और निराशा ।
सुख.दुख से ही रची गई है, जीवन की परिभाषा ।।
सुख की इच्छा मन को प्रतिपल, स्वप्न दिखाती रहती,
और नचाती रहती है सुख, पाने की अभिलाषा।।

सपने पूरे करने को मन, दिन भर उकसाता है
और हमारी क्षमता से भी, ज्यादा दौड़ाता है
किंतु यहाँ किसकी होती हैं, पूरी सब अभिलाषा
पर जिजीविषा मन की प्रतिपल, जीवित रखती आशा

कभी व्यवस्था आड़े आती, रोड़े अटकाती है
साम दाम की ताकत तब, बाधाएँ हटवाती है
सब संवेदन शून्य हुए हैं, नहीं किसी से आशा
अभिनव मानव आज समझता, बस पैसों कीभाषा।।

मन के ऊपर उठकर जिसको, जीवन जीना आया
वर्तमान को प्रतिपल जीने, में जिसने सुख पाया
उसको नहीं सताती हैं फिर, आशा और निराशा
उसने ही सच में समझी है, जीवन की परिभाषा।।

# सर्वाधिकार सुरक्षित
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
04.06.2019

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 589 Views
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