जीवन की आपा धापी में
जीवन की आपा धापी में
सबकुछ भूल गये,
सजना और सँवरना
जैसे कि इतिहास हुआ,
गिर के जाने कहाँ,
वो जूड़े के सब फूल गये,
रिश्ता एक,निभाने की तरकीबे
सौ रखीं,
सब के सब बेकार हुए,सब ही तो
फिजूल गये।
जीवन की आपा धापी में
सबकुछ भूल गये,
सजना और सँवरना
जैसे कि इतिहास हुआ,
गिर के जाने कहाँ,
वो जूड़े के सब फूल गये,
रिश्ता एक,निभाने की तरकीबे
सौ रखीं,
सब के सब बेकार हुए,सब ही तो
फिजूल गये।