जीवन का सत्य
जीवन आनंद है मृत्यु सत्य है , परन्तु
सत्य स्वीकारना मुश्किल है,
मृत्यु के बाद मनुष्य का क्या होता है , यह कोई नही जानता फिर भी परम्पराएं जो
सदियों से चली आ रही है वह शास्त्रसम्मत है ।
मुख्य बात यह है कि जीते जी अच्छा सोचे अच्छा करे , ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करें ।
आज हमारा है, परन्तु कल का भरोसा नहीं ।
जीवित है तो भूख है, प्यास है , ठंड है गर्मी है ।हर हाल में चाहे अपना कोई इस दुनियां से जाये , भूख – प्यास को कोई फर्क नही होता, यही घर में किसी का देहान्त होने के बाद होता है , चाहे वह कितना भी अपना हो ।
समय गतिशील है समय के अनुसार सब मायने बदल जाते है, हर कोई सोचता है , पर किसी के जाने से समयचक्र रूकता नही ।
चाहे वह परिवार हो, समाज हो,
देश हो या दुनियां ।
बस यही स्वीकारते हुए हमें भी जीवन की सच्चाई स्वीकार करना है ।
मृत्यु अटल है, हम भी इससे अछूते नहीं है ।
संतोष श्रीवास्तव भोपाल