जीवन का त्योहार निराला।
जीवन का त्योहार निराला।
ढोलक की थापों के भीतर,
शहनाई का राग करुण है,
मरुथल के हिर्दय में बसता,
सपनो का संसार वरुण है,
खिलखिल रंगो के हिरदय में,
छिपा हुआ है रंग इक काला,
जीवन का त्योहार निराला।
ज्योति सभी को देता है पर,
दीपक के नीचे कालिख है,
हम खुद को भगवान समझ लें,
कुछ सबसे ऊपर काबिज़ है,
सूरज की तेजी को सहकर,
जिसने है सूरज को पाला,
जीवन का त्योहार निराला।
सतत ही चलता रहता है ये,
हर पल है इक कल्प सरीखा,
जीवन जीने वालों ने पर,
कितना है इस सच को सीखा,
अंधे कुएं में हम सबने,
अपना जीवन सिक्का डाला,
जीवन का त्योहार निराला।
कुमार कलहंस।