*जीवन का गणित*
जीवन का गणित
एक-एक मिलकर दो होते हैं, एक साथ होते ग्यारह।
उधार भी दो सोच समझकर, घंटे घूमोगे बारह।
न किसी का बुरा करो तुम, देना सबको तुम सम्मान।
भूल जाते हैं लोग भलाई, इस पर भी तुम देना ध्यान।
अकेला चना न फोड़े भाड़, इसलिए मिलकर काम करो।
मेहनत से पा लोगे सब कुछ, ईर्ष्या का त्याग करो।
उगते को सलाम करें सब, ये सूर्य से तुम सीखो।
जब तक न हो लक्ष्य पूरा, अपनों को भी कम दिखो।
नौ दो ग्यारह न हो संकट में, अपनों का तो साथ दो।
बुराई से न मिलेगा कुछ भी, मेहनत से तुम मात दो।
रिश्तो का ध्यान रखो तुम, दुष्यन्त कुमार की तुम मानो।
जीवन का है यही गणित, ये बात तुम पहचानो।