*जीवन का आधारभूत सच, जाना-पहचाना है (हिंदी गजल)*
जीवन का आधारभूत सच, जाना-पहचाना है (हिंदी गजल)
1)
जीवन का आधारभूत सच, जाना-पहचाना है
जग से गए सभी ज्यों, वैसे हम को भी जाना है
2)
अमर नहीं हो सकता तन, कोई चाहे कुछ कर ले
एक दिवस संध्या होगी, फिर सूरज कब आना है
3)
पता नहीं परलोक कहॉं, हम मरण बाद जाऍंगे
चित्र वहॉं का रीति-नीति, सब ही कुछ अनजाना है
4)
गहन कर्म की गति अद्भुत, कब जान सका कोई
पुनर्जन्म का चक्र जटिल, विद्वानों ने माना है
5)
विश्वरूप जब देखी छवि, अर्जुन ने केशव की
देखा महाकाल का वह, भीतर छिपा ठिकाना है
रचयिता रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451