जीवन और मृत्यु
एक बार जीवन
और मृत्यु में
छिड़ गई लड़ाई
जीवन बोला मूत्यु से
मैं हूँ तेरा बड़ा भाई
मृत्यु बोला वह कैसे
मैं हूँ तेरा बड़ा भाई।
जीवन बौला मैं इस दुनियाँ मे
सबसे पहले आता हूँ।
दुनियाँ की खुबसुरती के साथ
अपना एक नया रिशता बनाता हूँ।
हर रिश्ते का है महत्व
मै सबको यह समझाता हूँ।
मृत्यु बोला जीवन से
मैं इस दुनियाँ में तुमको
आने देता हूँ
इसलिए तुम आ पाते हो।
मेरी मर्जी पर तेरा जीवन चलता है।
मेरी मर्जी न हुई तो तेरे आने से पहले
मैं खुद ही वहाँ आ जाता हूँ।
जीवन मृत्यु से अकड़कर बोली
देख मृत्यु तुझे कोई पाना नही चाहता है।
और मुझे देख हर जीव
पाने की लालसा रखता है
मृत्यु बोला जीवन से
ऐ जीवन तुममें किस बात का
इतना अकड़ है
मेरे रहमों कर्म पर
तेरा यह जीवन चलता है।
पल में चाहूँ मैं तुझसे
तुझको छिन ले सकता हूँ
फिर किस बात का घमंड तू रखता है।
जीवन बोला मेरे आने पर
सब लोग खुशियों मनाते है।
एक नई उमंग नए उत्साह
से भर जाते है।
इस बात का है अकड़ मुझे ।
हर कोई मुझे बुलाना चाहता है
और देख मृत्यु तुमहे कोई
बुलाना नही चाहता है।
तेरे आने से रोते हैं चिल्लाते है
कहाँ तेरा आना किसी को पसंद आता है।
मृत्यु बोला, जीवन तुम इंसान को
माया के जाल मे फँसाकर रखते हो
तुम उन्हें सत्य से परिचय नही कराते हो
और मै इंसान को माया के जाल से मुक्त करवाता हूँ।
जो ज्ञानी है वह मुझे समझ जाता है
और जिसके आँखों पर माया
का पर्दा है
वह इंसान हमें कहाँ समझ
पाता है।
जबकि मैं जीवन का सच्चा
आनंद देता हूँ।
यह सब सुन रहे नारद वहाँ पहुंचे
दोनों ने हाथ जोड़ बोला
हे प्रभु आपने तो सब कुछ सुना है
अब आप ही बताएँ
हम में से बड़ा कौन है।
नारद बोले देख मृत्यु तू एक
अटल सत्य है।
तू जीवन से ज्यादा शक्तिशाली भी है।
तू माया मोह के जाल से
लोगो को मुक्त भी करवाता है।
पर सोचकर देख चंद समय
के लिए ही
पहले जीवन आता है।
तब तो तुम जीवन मे आते हो।
इसलिए जीवन तुमसे बड़ा है।
ऐसे भी कहा जाता है लेने वाले से
हमेशा देने वाला बड़ा होता है।
तुम सबसे बड़े सत्य हो और
जीवन के सबसे बड़े दानी।
जो चंद समय के लिए ही सही
किसी के चेहरे पर मुस्कान ला दे
उससे बड़ा इस जग मे कोई
हो नही सकता है।
नारद की बात सुनकर दोनों
सहमत हो गए।
मृत्यु ने जीवन को बड़ा भाई
मान लिया और दोनो एक दूसरे
के पूरक बनकर रहने लगे।
नारद मुनि वहाँ से राम राम
करते हुए निकल गए ।
~अनामिका