जीवन एक समस्यालय
कितनी समस्याएं हैं जीवन में , की अपना जीवन ही बन गया समस्यालय,
जहाँ कोई खुश आने से कतराती है ,दूर से ही कर देती है हेलो ,बाय -बाय ।
आने दो गर्मी के मौसम को ,फिर देखो क्या रंग लाती हैं समस्याएँ ,
बिजली के नखरों की वजह से हम तो जीते-जी बैंगन की तरह भुन जाएँ ।