जीवन : एक संघर्ष
जीवन: एक संघर्ष
// दिनेश एल० “जैहिंद”
जिसने भी कहा जीवन एक फूल है ।।
उनका मानना यही तो एक भूल है ।।
जीवन फूलों की सुन्दर शय्या नहीं,,
जीवन में संघर्ष है संघर्ष ही मूल है ।।
कौन क्या सोचता मुझे क्या करना ।।
मुझे तो है इन विपदाओं से लड़ना ।।
जब तक तन में मेरे जान है बाकी,,
फिर इन संघर्षों से काहे का डरना ।।
मत सोच ये नादान मैं कोई बूढ़ी हूँ ।।
और मैं अपने इस जीवन से रूठी हूँ ।।
इस जीवन को भरपूर मैंने जिया है,,
देख जीने की आस अभी नहीं टूटी हूँ ।।
तू झूठे इन आफतों से घबरा जाता है ।।
इन मुसीबतों से डरकर मरा जाता है ।।
हिम्मत कर हिम्मत रख लड़ता रह,,
श्वासों से पहले यूँ नहीं हारा जाता है ।।
ले कुछ ज्ञान मुझसे सीख और जरा ।।
ना कर आत्महत्या न औरों को डरा ।।
संघर्ष कर संघर्ष ही तेरा जीवन है,,
जो देख कर्मों को डरे हैं वो तो मरा ।।
===≈≈≈≈≈≈≈≈====
दिनेश एल० “जैहिंद”
04. 04. 2018