जीवन एक मृगतृष्णा
जीवन एक मृगतृष्णा है ,
जिसमें आसक्ति अपनी ओर आकर्षित करती है , आत्मीय संबंधों की विभक्ति अंतर्वेदना निर्मित करती है ,
स्वप्निल आशाओं ,आकांक्षाओं , अभिलाषाओं के मनस पटल पर आच्छादित वारिद जीवंत रहने प्रेरित करते हैं ,
जीवन में कष्ट एवं संताप के क्षण कभी विचलित करते हैं ,
कभी धैर्य ,साहस एवं आत्मविश्वास पथ पर अग्रसर रखते हैं ,
इसी चक्र में उलझा अकिंचन अस्तित्व यंत्रवत् र्निर्वाह बाध्य रहता है ,
साध्य -असाध्य के प्रयत्न में निरंतर संलग्न रहता है।